Friday 6 May 2022

है सत्य क्या?



 चल मन आज आसमान से बातें करते हैं , 

पूछा ,”तुम इतने ऊँचे और विस्तृत कैसे हो ?”

तो बोला , “ख़ाली हो जाओ तो हल्के होकर 

अपने आप ऊपर उठ जाओगे और मेरी तरह 

फैल जाओगे, फिर कभी सूरज के प्रकाश से

रौशनी फैलाते नज़र आओगे तो कभी चाँद - 

सितारों से जड़ित चादर जैसे झिलमिलाओगे,

कभी हिमकणो से भरे सफ़ेद बादल से और 

कभी पानी की बूँदों से भरपूर

काले बादल से ढक जाओगे , 

बरस जाने के बाद नज़र आओगे -

सुंदर पावन नीला अम्बर , 

जो असल में है बस ख़ालीपन, 

मेरा मन हो या तेरा मन  ,

हम सब में है कोई बहरुपिया 

 जो अजब तमाशा दिखा रहा है , 

  अलग-अलग से रूप रंग में 

सृष्टि की लीला  चला रहा है …

सूरज का है प्रकाश वही , 

आकाश का है विस्तार वही,

सागर की वह गहराई है , 

जीवन की वही सच्चाई है , 

लुका -छिपी के खेल खेल में 

सत्य के भेद बताता है ,

 और सत्य की ही राह से वह 

 सत्य तक पहुँचाता है ….!”

- @Sudesh Prakash